नवदीप चतुर्वेदी : वृन्दावन : बांके बिहारी मंदिर के सेवादार अनंत गोस्वामी जी से वृन्दावन कॉरिडोर बनने को लेकर बात की गई। जब उनसे पूछा गया कि क्या वृन्दावन कॉरिडोर बनना चाहिए या नहीं, तो उनका जवाब था, “मुझे कोई पूछे तो मेरा जवाब नहीं में होगा “
हालांकि, उन्होंने भीड़ की समस्या पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि इतनी भीड़ होने के कारण दर्शन में धक्का-मुक्की और रैलम-पेल हो जाती है, जिससे श्रद्धालुओं को कठिनाई होती है।
अनंत गोस्वामी जी ने वृन्दावन की खासियत बताते हुए कहा कि वृन्दावन की कुंज गलियां हर रसिक को वैसे ही प्रिय हैं जैसे कोई अपने बचपन की गलियों को याद करता है। वहां की खुशबू, छोटे-छोटे मोड़ और हर कदम पर सतर्कता की भावना है कि कहीं कन्हैया का वानर कुछ न छीन ले जाए।
वृन्दावन को मंदिरों की नगरी बताया और कहा कि यह जगह सिर्फ बांके बिहारी मंदिर नहीं बल्कि ब्रज के 5000 से अधिक मंदिरों का शहर है। इसलिए भीड़ को कम करने का एक ही रास्ता है – भक्त खुद सुधरें, भीड़ से बचें और सप्ताहांत के बजाए वीकडे में दर्शन करें।
उन्होंने भक्तों से अपील की कि कन्हैया को केवल बांके बिहारी मंदिर में मत खोजो, बल्कि ब्रज के हर मंदिर में फैल जाओ। इस तरह न केवल भीड़ कम होगी, बल्कि भक्तों को भी अलग-अलग जगहों पर भगवान के दर्शन करने का मौका मिलेगा।
गोस्वामी जी का मानना है कि जनता की जरूरत पर सरकार कदम उठाती है, लेकिन ब्रजवासियों का दुख न बढ़ाएं। क्योंकि ब्रजवासियों की आंखों में आंसू आ जाते हैं जब उनकी प्राचीन गलियों और मंदिरों की शांति भंग होती है।
इसलिए, इस बार वृन्दावन जाने पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि गाइड लेकर बिहारी जी के किसी अन्य मंदिर जाएं, जहां वे व्यस्त न हों। यह उपाय ही भीड़ की समस्या का सही समाधान है।
निष्कर्ष:
भीड़-भाड़ से बचने और वृन्दावन की प्राचीनता को बनाए रखने के लिए बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विरोध करते हुए अनंत गोस्वामी जी ने भक्तों से अपील की है कि वे मंदिरों में बंट जाएं, वीकडे में जाएं और भगवान को ब्रज के हर कोने में तलाशें। यही ब्रज और बिहारी जी की सेवा का सही तरीका है।

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