सलोनी तिवारी: भारतीय सशस्त्र बलों ने मुजफ्फराबाद, बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, कोटली समेत कुल नौ आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर दिया। इन सभी ठिकानों का इस्तेमाल आतंकियों को प्रशिक्षित करने और भारत में हमले करने के लिए किया जा रहा था।
सरकार और सेना ने ऑपरेशन के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह मौजूद रहे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में संसद हमले, मुंबई हमले, पुलवामा और हाल ही में हुए पहलगाम हमले के दृश्य दिखाए गए।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि 22 अप्रैल 2025 को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों पर निर्मम हमला किया था। इस हमले में 25 भारतीय और एक विदेशी नागरिक को बेहद क्रूरता से मार डाला गया। हमला आम नागरिकों को भयभीत करने, जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल होने की प्रक्रिया को बाधित करने और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की नीयत से किया गया था।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस को बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकियों और उनके संरक्षकों को स्पष्ट संदेश देना था कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। लक्ष्यों का चयन विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर किया गया और इस दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे।
उन्होंने बताया कि “रजिस्टेंस फ्रंट” नामक आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। भारत पहले ही इस संगठन को लेकर संयुक्त राष्ट्र में साक्ष्य प्रस्तुत कर चुका है।
विदेश सचिव ने कहा, “पाकिस्तान आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। वहां आतंकियों को सजा नहीं मिलती, बल्कि उन्हें संरक्षण दिया जाता है। साजिद मीर की मिसाल इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।”
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में देश पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।