सलोनी तिवारी: 27 अप्रैल 2025 को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस बार वैशाख अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग और शोभन योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो तर्पण और दान को और भी फलदायी बना देंगे।
वैशाख अमावस्या पर तर्पण की विधि:
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उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
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दाहिने हाथ में जल, तिल, कुश और फूल लेकर पितरों का स्मरण करें और तर्पण का संकल्प लें।
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पितरों का आह्वान करते हुए मंत्र उच्चारण करें:
“ऊं आगच्छन्तु में पितर इमम गृहन्तु जलान्जलिम।” -
दाहिने हाथ की हथेली में जल, काला तिल, जौ और कुश रखकर पितरों का नाम और गोत्र लेते हुए तीन बार धीरे-धीरे जल अर्पित करें।
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प्रत्येक अर्पण के साथ “ऊं पितृभ्यः स्वधा” मंत्र का जाप करें।
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तर्पण के दौरान पितृ गायत्री मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है:
“ऊं पितृगणाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्।” -
तर्पण के बाद शांत चित्त से पितरों का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना करें।
दान का महत्व:
इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, कुश, जल, धन और जरूरतमंदों को भोजन का दान करना विशेष फलदायक माना गया है। इससे पितृ तृप्त होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।